फ़िर उन्ही रास्तों पे खड़ा पाता हूँ ख़ुद को ,
जहाँ से चलना शुरू किया था ,
नई मंजिलें तलाशी थी ;सोचा था -चलो एक बानगी इन्हे भी तय किया जाए ,
नयापन तय किया ;और सामने आए फ़िर वही जाने -पहचाने से रास्ते ।
ये जो Confusion है ,अब थोड़ा परिपक्वा हो गया है ,
परिभाषाएं भी पहले से सटीक सी लगती हैं ,
पर है तो अभी भी वही ।
The Shining का वो पार्क याद आता है ,
जिसे मैं अपने रास्तों के नजदीक पाता हूँ ,
एक बानगी थोड़ा ऊपर से view किया ,
तो पाया ;वहीं तो हैं -जहाँ से चले थे ।
याद रखने के लिए कोई sign तो बनाया नही था ,
हर चौराहा ही तो वही पुराना सा लगता है ,
अगला चौराहा दूद्ना है ,
फ़िर से ऊपर जाता हूँ ।
2 comments:
khoob. bahut khoob.
Dhanyawaad:)
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